
आज की तनावपूर्ण जिंदगी में आदमी इतना व्यस्त और त्रास्त हो चला है कि न उसे दिन में आराम मिलता है, न उसे रात को अच्छी नींद आती है. वह मानसिक रोग, मानसिक तनाव व दुर्बलता का शिकार हो जाता है. उच्च रक्तचाप की बढ़ी हुई स्थिति को ही हाइपरटेंशन कहा जाता है.
क्या है हाइपरटेंशन?
जब हमारी नसों या रक्त वाहिनी धमनियों में गड़बड़ी पैदा हो जाती है और रक्त प्रवाह असामान्य हो जाता है. तब हृदय को अधिक जोर लगाकर खून को शरीर के सभी अंगों में भेजने के लिए पंप करना पड़ता है. रक्त वाहिनियां कठोर हो जाती है और उनमें अवरोध पैदा हो जाता है. हृदय पर अधिक दबाव से रक्तचाप अधिक बढ़ जाता है तो धमनियों में खून दौड़ने में असमर्थ हो जाता है तब ब्रेन हेमरेज हार्ट अटैक तथा मृत्यु तक हो जाती है.
हाइपरटेंशन के कारण
- हाइपरटेंशन का मुख्य कारण है आज की अस्त व्यस्त व विकृत जीवन शैली प्राकृतिक व सादा, सहज जीवन छोड़कर व्यक्ति बनावटी व दोहरा जीवन जी रहा है, इसका परिणाम है, दुख, रोग व तनाव भरी जिंदगी.
- शारीरिक परिश्रम के स्थान पर मानसिक श्रम की अधिकता होना.
- सुख सुविधा जुटाने में लगे रहकर समय पर न खाना, न सोना.
- देर रात तक जागना, देर में सवेरे उठना, व्यायाम न कर सकना न घूमना.
- फास्ट फूड का सेवन करना, गरिष्ठ, वासी फ्रिज का रखा हुआ भोजन खाना.
- कब्ज, कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना तथा धमनियों में अवरोध पैदा होना.
- पुरुषों में 45 वर्ष के बाद तथा महिलाओं में 35 वर्ष के बाद हाइपरटेंशन की संभावना बढ़ जाती है. महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में यह रोग अधिक होता है.
- यह रोग माता-पिता में हो तो बच्चों में भी इसके होने की संभावना होती है.
- मोटापा, चिकनाई का अधिक प्रयोग, मदिरा सेवन, धूम्रपान, निष्क्रिय जीवन, कार्य की अधिकता कुछ अन्य कारण भी हाइपरटेंशन बढ़ाते हैं.
- डायबिटीज होने पर भी हाइपरटेंशन उसका साथ निभाता है.
हाइपरटेंशन के लक्षण
चक्कर आना, सोकर उठने पर थकावट महसूस होना, शरीर में अकड़ाहट होना, सिर घूमना, चिड़चिड़ा स्वभाव होना, काम में मन न लगना, पाचन शक्ति कमजोर होना, सीढ़ियां चढ़ते समय सांस उखड़ना, श्रम करने की क्षमता का कम होना, सांस फूलना, अत्यधिक थकान होना, घबराहट होना, अनिद्रा रोग होना, छाती में खिंचाव सा महसूस होना, पेट अपसेट होना, अधिक पसीना आना, नकसीर फूटना, चिंता होना, हृदय की धड़कन बढ़ जाना, कानों में घंटी सी बजना या सायं सायं होना, सिर दर्द होना, नजर में फर्क होना आदि लक्षण दिखाई पड़ते हैं.
हाइपरटेंशन की अवस्थाएं
प्रथम अवस्था :- इस अवस्था में सिस्टोलिक 140 से 159 तथा डायस्टोलिकसे 90 से 99 तक पाया जाता है.
दूसरी अवस्था :- इस अवस्था में सिस्टोलिक नंबर 160 या इससे अधिक तथा डायस्टोलिक नंबर 100 या इससे अधिक पाया जाता है.
यौगिक उपचार
- योगासन :- पहले शवासन का अभ्यास दिन में तीन बार 10-10 मिनट तक करें. पवनमुक्तासन बिना सांस रोके 4-6 बार करें. उत्तानपाद एक एक पैर उठाकर एक दिन में 6 बार करें. सूर्य नमस्कार एक बार शेष ताड़ासन, त्रिकोणासन, कोणासन, भुजंगासन, ष्टालभासन, वज्रासन, शिथिलासन शवासन, शवासन, (योगनिद्रा में भी यह प्रयोग होगा), पवनमुक्तासन, पादोत्तान, त्रिकोणासन, कोणासन, भुजंगासन, शलभासन, वज्रासन, मकरासन, शिथिलासन शवासन.
- प्राणायाम :- भ्रामरी, उज्जाई, लंबे गहरे सांस, कपालभांति, चंद्रभेदी, शीतली.
- मुद्राएं :- 16-48 मिनट तक लगाएं. 16X3 बार भी कर सकते हैं. एक बार एक मुद्रा लगाएं या किसी एक ही मुद्रा का अभ्यास करें. ज्ञान मुद्रा, व्यान मुद्रा, वरुण मुद्रा.
- ध्यान 20-30 मिनट दोनों समय करें.
- योग निद्रा :- शवासन में लेटकर 30 मिनट तक शरीर का एक एक अंग ढीला करें.
- यम नियम का पालन करें. यम- अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रल्झचार्य, अपरिग्रह. नियम– शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय, ईश्वर प्रणिधान.
- आहार– (प्रथम प्रयोग) प्रातः काल संतरे का सेवन करें. दोपहर में अमरुद खाए. बीज सटक जाए. सायंकाल टमाटर या सेब का सेवन करें.
नोट :- फलाहार में मौसम के अनुसार नाशपाती, खरबूजा, जामुन, अन्नानास, शरीफा, रसभरी आदि ले.
दूसरा प्रयोग :- प्रातः काल– नींबू पानी, फलों का रस, छाछ आदि ले सकते हैं. दोपहर में सलाद, उबली हुई सब्जियां, दही, चोकर युक्त आटे की रोटी ले. सायंकाल हल्का भोजन, चपाती, सलाद तथा हरी सब्जियां खाएं.
पथ्य : नींबू, पपीता, सेब, तरबूज, मौसमी, आंवला, चौलाई पालक, प्याज, घिया (लौकी), गाजर, टमाटर, बथुआ आदि उपयोगी है.
अपथ्य :- दूध, घी, रबड़ी, मलाई, मक्खन, उनसे बनी चीजें, तले-भुने पदार्थ, गरिष्ठ भोजन, ज्यादा नमक, चाय-कॉफी, मैदे से बनी चीजें, दालें बैंगन, अधपका केला, फास्ट फूड, डिब्बे बंद चीजें, चॉकलेट तथा आइसक्रीम न खाएं.
नोट :-
- दूध लेना हो तो मलाई रहित ले.
- सलाद (टमाटर), खीरा, मूली, चुकंदर, गाजर के मिश्रण पर नींबू छिड़क कर ले.
- प्रातः काल ज्यादा पानी पीना चाहिए.
- सप्ताह में एक दिन उपवास भी रखें.
- घिया के रस में पानी मिलाकर हर तीसरे दिन लें.
- शहद नींबू पानी गर्म पीना चाहिए.
- प्रतिदिन 2 चम्मच त्रिफला जल के साथ प्रातः काल ले.
- हरे आंवले को कुचलकर खूब चबाकर खाएं या कद्दूकस करके सलाद में डाल कर खाएं या फुल्के में भर कर खाएं. इससे तुरंत लाभ मिलेगा यदि रोग बढ़ा हो तो आंवले का रस ले जल्दी लाभ होगा.
- आंवला चूर्ण व मिश्री चूर्ण समभाग मिलाकर रखें. 24 घंटों में एक बार तीन ग्राम ताजे पानी से लें.
- लहसुन की एक दो कली मुनक्का में लपेटकर चबाएं इससे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा घटेगी.
- मिस्सी रोटी खाने से कुछ ही दिनों में लाभ मिलेगा.
- जटामासी का चूर्ण आधा/एक चम्मच (चाय वाला) शहद या मिश्री के घोल के साथ सेवन करने से हाईपरटेंशन का खतरा टलेगा.
अन्य सुझाव :-
- बायां स्वर चलाएं दायी नाक बंद करें या दाई करवट लेटे. शीघ्र ही लाभ होगा.
- अपनी सोच को सकारात्मक बनाएं हर घटना का उजला पक्ष सोचे.
- भीगे तौलिए पर लेटकर रीढ़ स्नान करें.
- गहरे लंबे सांस लेते हुए 2-3 कि.मी. भ्रमण करें.
- धूम्रपान, मदिरा का सेवन करना छोड़ दें.
- तनाव मुक्त जीवन बिताएं. बातों को सहें और माफ करना सीखें.
- शरीर पर सप्ताह में तीन बार तेल की मालिश करें.
- प्रसन्न रहें, खूब हंसे.
- पाँच मिनट ॐ की लंबी योग ध्वनि करें.
- नाभि पर प्रतिदिन घी तेल लगाएं.
- शहद और प्याज का रस समभाग तैयार करके चाय के दो चम्मच के बराबर प्रतिदिन सेवन करें.
- मेथी दाने का चूर्ण कपड़छान करें. इसकी 3 ग्राम की मात्रा प्रातःसायं जल से लें. पंद्रह दिन में लाभ होगा.
- तीन मील घूमा करें प्रातः नंगे पैर, हाईपरटेंशन और दिल के रोग से रहेंगी खैर.
- बासी रोटी गेहूं की, भिगो दूध में खाए हाईपरटेंशन मैं शीघ्र लाभ दर्शाएं.
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