
अनार खाने के फायदे (Anar Khane Ke Fayde In Hindi Language)
अनार एक फल हैं, यह लाल रंग का होता है । इसमें सैकड़ों लाल रंग के छोटे-छोटे रस भरे दाने होते हैं । अनार में प्रचुर मात्रा में फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन और खनिज पाए जाते हैं । जो शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं | अनार का उपयोग कई प्रकार की औषधियां बनाने में भी किया जाता है |
अनार द्वारा ठीक होने वाले रोग
पेट दर्द – मीठे अनार (बीदाना) के 40-50 ग्राम दोनों में पिसी कालीमिर्च मिलाकर खाना चाहिए |
पेट की अनेक बीमारी में – उल्टी व दस्त, संग्रहणी, यकृत की दुर्बलता, बेचैनी व प्यास की तीव्रता गैस बनना आदि में मीठा अनार खाना हितकर है | अनार मूत्रल होने के कारण अनेक मूत्र-विकारों को दूर करता है |
पीलिया – मीठे-अनार दानो का रस 50-60 ग्राम रात को खुले स्थान पर लोहे के पात्र में रख दें | प्रातःकाल उसमे उचित मात्रा में मिश्री मिलाकर पीयें | ऐसा रोग-स्थिति के अनुसार एक-दो सप्ताह करने से रोग-मुक्त संभव है |
1.हृदय को शक्तिशाली बनाने 2. शरीर को मोटा करने 3. मूर्च्छा एंव खांसी को दूर करने के लिए अनार का सेवन करना चाहिए |
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1.आमाशय में जलन हो 2. पेशाब करते समय अवरोध, वेदना या दाहकता हो, 3. गर्मी के कारण नेत्रों में जलन, गले में खुश्की और हृदय में छटपटाहट हो तो अनार दानों का शर्बत बनाकर पीना चाहिए |
स्वप्नदोष – सूखा लाल अनार का छिलका कूट-छानकर 3-4 ग्राम, प्रातः सायं ताजा पानी से नियमित दो सप्ताह तक लेने से स्वप्नदोष विकार ठीक हो जाता है |
खटाई व रात्रिकाल में सोते समय गरम दूध का प्रयोग न करें |
मूत्र-विकार – मसाने की गर्मी के समय एंव बार-बार पेशाब जाने की स्थति में अनार के छिलके के बारीक चूर्ण का सेवन सुबह-सायं ताजा जल के साथ दिन में रोग दशानुसार करें |
बवासीर – मीठे कंधारी अनार के छिलकों के पिसे बारीक चूर्ण 5-6 ग्राम को, प्रातःसायं ताजा जल के साथ नियमित कुछ दिनों तक सेवन करने से खूनी बवासीर में लाभ हो जाता है | किन्तु इस समय गरम वस्तुओं का सेवन न करें और कब्ज न होने दें |
खांसी – मीठे अनार के छिलके के चूर्ण 20 ग्राम में लाहौरी नमक 4-5 ग्राम डालकर पानी के साथ गोलियां (एक-एक ग्राम की) बनाकर रख लें | ये गोलियां दिन में तीन बार चूसने से खांसी ठीक हो जाती है |
इसका चूर्ण गरम जल से लेने से अतिसार में लाभ होता है |
काली खांसी – रोगी बच्चे को अनार का छिलका पड़ा दूध उबालकर पिलायें | कुछ दिनों में खांसी ठीक हो जायेगी |
पायेरिया – अनार के फूल छाया में सुखाकर बारीक करके मंजन की भांति मलने से मसूढ़ों से रुधिर निकलना बंद हो जाता है और दांतों की मजबूती बढ़ती है |
गर्भपात – योनि में अनार की छाल की धूनी देने से गर्भपात हो जाता है |
पेचिश – लगभग 10-15 ग्राम अनार के छिलके एंव 2 लौंग पीसकर लगभग 400-500 ग्राम (1 गिलास) पानी में 8-10 मिनट तक उबालें, तत्पश्चात छानकर लगभग 50-50 ग्राम कुछ दिनों तक, प्रतिदिन दिन में 3 बार पीने से पेचिश व दस्त में लाभ होता है | दस्त में अनार का रस पीना भी हितकर है |
नाक से रक्त निकलना या नकसीर चलना – अनार का रस निकालकर नथुनों में कुछ बूंदें टपकाने से नकसीर में लाभ होगा |
मुख-दुर्गन्ध, मुंह में पानी आना – लगभग 5 ग्राम अनार के पिसे छिलकों की फंकी कुछ दिनों तक नित्य दिन में दो बार लें | साथ ही छिलकें उबालकर उनके पानी से कुल्ला करें |
अनार का रस पीने से उल्टी होना, जलन, जी मिचलाना, खट्टी डकारें आना, हिचकी, घबराहट, प्यास आदि में लाभ तो होता ही है, शरीर की शक्ति व रक्त की वृद्धि भी होती है |
नाख़ून टूटने के कारण दर्द में अनार के पत्ते पीसकर बांधें |
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गंजापन – में अनार के पत्ते जल में पीसकर सिर पर लेप करें |
पागलपन, हिस्टीरिया – के दौरे पड़ने पर अनार के पत्ते व गुलाब के ताजे फूल 15-15 ग्राम लगभग आधा किलो पानी में चौथाई पानी रहने तक उबालें | फिर उसे छानकर लगभग 20 ग्राम शुद्ध देशी घी मिलाकर प्रतिदिन सेवन करें |
काढ़ के घाव, दाद – अनार के पत्ते पीसकर घाव (कोढ़ के), दाद या डंक पर लगाने से बिच्छू अथवा बर्र द्वारा काटने, दाद, कोढ़ के घाव आदि में लाभ होता है |
अनार का रस पीने से- 1. पेट के कीड़े 2. दस्त 3. यकृत आदि रोगों में लाभ होता है |
मीठे अनार के सेवन से कमेन्द्रियाँ बलवान होती हैं व पेट मुलायम रहता है |
ग्रीष्म ऋतु में अनार के शर्बत का सेवन करने से गर्मी दूर होती है |
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