
आधुनिक विज्ञान और टैक्नोलॉजी के विस्तार से औधोगिकीकरण की प्रक्रिया अत्यंत तेज हो गई है. इस तेजी ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी है कि मनुष्य अपने न्यूनतम व्यक्तिगत स्वास्थ्य के प्रति भी ध्यान नहीं दे पाता. यही कारण है कि हृदयरोग, कैंसर मधुमेह इत्यादि बढ़ते ही जा रहे है.
उच्च रक्तचाप (high blood pressure) का कारण
बहुत पुरानी कहावत है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है. यदि शरीर स्वस्थ रहेगा तो उच्चरक्तचाप जैसे रोग ही पैदा नहीं होंगे. किन्तु आजकल उच्चरक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रैशर एक आम रोग हो गया है. एक सर्वेक्षण के अनुसार पाया गया है कि वयस्क लोगों में भी उच्चरक्तचाप काफी देखने में मिल रहा है.
इसमें हृदय की रक्तनलिकाओं की दीवार के मोटे हो जाने के उनका लचीलापन कम हो जाता है, जिसके कारण रक्त संचार के लिए हृदय को अधिक ज़ोर से पंप करना पड़ता है. इससे हृदय पर दबाव यानी बोझ पड़ता है और यदि मोटापे से ग्रस्त है तो हृदय को कार्य करने में बहुत अधिक दबाव पड़ता है.
रक्त में कोलेस्ट्रोल बढ़ता है और ट्राईग्लिसराइड ज्यादा होने के कारण भी हृदय का दबाव बढ़ जाता है. रक्वाहिनियों के तंग होते ही हृदय की रक्त की आपूर्ति कम होने लगती है जिसके परिणामस्वरूप दिल का दौरा पड़ता है या हृदय की गति बंद हो जाती है. रक्तचाप आयु, स्त्री पुरुष के भेद, मांस पेशियों के विकास, व्यक्तिगत प्रवृत्ति आदि पर निर्भर करता है. यद्यपि साधारणतया 120/80 माना जाता है. किन्तु यह ऊंचा या नीचा भी हो सकता है.
रक्तचाप के कुछ कारण है जैसे कि वंशानुगत, धूम्रपान, तनाव, चिंता, मोटापा, मानसिक व भावनात्मक कष्ट, शराब तथा नमक व चीनी का अधिक मात्रा में प्रयोग करना. यदि हम प्राकृतिक चिकित्सा की बात करते है, तो इससे व्यक्ति का शरीर स्वस्थ होता है और उच्च रक्तचाप पर काबू पाने में सफलता मिलती है. संतृप्त वसा यानी सेचुरेटेड फेट, नमक तथा चीनी की मात्रा को कम कर दें. विश्राम, व्यायाम, योगासन, तेज गति से सैर करना स्वस्थ के लिए लाभप्रद तो होता ही है, साथ ही हृदय के लिए भी अच्छा है. धूम्रपान, चाय, काफी, जर्दा, तंबाकू व शराब से परहेज करना चाहिए. अत्यधिक वजन यदि आपका है, तो उसको भी कम करें.
स्थायी रक्तचाप की समस्या प्रमुखत: पुरुषों में होती है। यह एक सामान्य बीमारी है, जो उम्र के किसी भी पड़ाव में हो सकती है, फिर भी 30 वर्ष की उम्र के बाद ही इसके अधिक रोगी देखे गए हैं। उच्च रक्तचाप के कई कारण हो सकते हैं जिसमें अत्यधिक थकान, धूम्रपान, मोटापा, व्यायाम न करना, शराब का अत्यधिक सेवन, भोजन में अधिक नमक प्रमुख हैं। गुर्दो के रोग, गर्भावस्था व एड्रीनल ग्रंथियों के विकार से भी उच्च रक्तचाप हो जाता है।
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उच्च रक्तचाप (high blood pressure) का लक्षण
इसके प्रत्यक्ष लक्षण नहीं होते। इसमें रोगी को सिरदर्द, चक्कर आना व सांस लेने में कठिनाई होती है।
उच्च रक्तचाप (high blood pressure) का उपचार
1. आंवलाः आंवले का मुरब्बा चांदी के वर्क के साथ खाने के बाद थोड़ा दूध पीकर आराम करने से लाभ होता है। सूखे आंवले के चूर्ण में समान मात्रा में मिश्री पीसकर मिला लें। इस चूर्ण को प्रतिदिन प्रात:काल खाएं या पानी के साथ पीएं।
2. तरबूजः तरबूज के बीजों में पाए जानेवाले तत्त्वों की वजह से गुर्दे की कई बीमारियां ठीक हो जाती हैं, जिनका हृदय पर अच्छा असर पड़ता है इससे उच्च रक्तचाप कम हो जाता है। इसके लिए तरबूज के बीजों को छाया में कुछ घंटों तक सूखने दें, फिर उन्हें चूर्ण की तरह पीस लें। इसके पश्चात इस चूर्ण को गर्म उबलते हुए एक गिलास पानी में डालकर एक घंटे तक भीगने दें। तत्पश्चात पानी को छान लें। छाने हुए पानी की चार खुराक नित्य पीएं। इससे उच्च रक्तचाप ठीक हो जाता है। उच्च रक्तचाप में तरबूज के बीज की गिरी खाने से भी लाभ होता है। तरबूज के रस का सेवन उच्च रक्तचाप को कम कर देता है। तरबूज के बीज की गिरी व सफेद खसखस को अलग-अलग पीसकर बराबर मात्रा में रख लें। इस चूर्ण को सुबह-शाम एक-एक चम्मच खाली पेट खाएं। इससे बढ़ा हुआ रक्तचाप धीमा हो जाता है। तरबूज खाने से भी उच्च रक्तचाप ठीक हो जाता है। यहां ध्यान रखें कि तरबूज भोजन करते हुए बीच में या भोजन के एक घंटे बाद खाना चाहिए।
3. गाजरः गाजर व पालक का रस क्रमश: 300 व 125 ग्राम मिलाकर पीने से उच्च रक्तचाप ठीक हो जाता है।
4. ककड़ीः बिना नमक डाले कच्ची ककड़ी खाने से व इसका रस पीने से उच्च रक्तचाप ठीक हो जाता है।
5. पपीताः सुबह के समय खाली पेट पका हुआ पपीता खाना चाहिए। यहां ध्यान रखें कि पपीता खाने के एक-दो घंटे तक कुछ नहीं खाएं। यह उपचार महीने भर तक करें।
6. मुनक्काः मुनक्का में लहसुन की कली रखकर खाना उच्च रक्तचाप को ठीक कर देता है।
7. केलाः केले में पाया जानेवाला पोटेशियम उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करता है।
8. सेवः दो सेव प्रतिदिन खाने से उच्च रक्तचाप नहीं होता। इसका नियमित सेवन उच्च रक्तचाप को खत्म कर देता है।
9. नीबूः नीबू में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो रक्त वाहिनियों में लचक पैदा करते हैं। उच्च रक्तचाप के लिए नीबू संजीवनी का कार्य करता है। इसका सेवन नियमित करना चाहिए। इसके लिए नीबू की शिकंजी (बिना नमक की) पीएं या नीबू के रस को चूसें।
प्राकृतिक आहार में संतुलित भोजन ही लें. फल, सब्जियां, अंकुरित अनाज व दालें भोजन में अधिक लें. प्रतिदिन 20 से 40 मिनट तेज गति से चलें. नमक का प्रयोग कम करे. लहसुन रक्तचाप को कम करने के लिए बहुत ही अच्छा है. इसको किसी भी रूप में इस्तेमाल करें. जल यानी पानी तथा फलों का रस भी पर्याप्त मात्रा में लें. इससे रक्त पतला होता है, हर रोज सात आठ घंटो की गहरी नींद लें. सप्ताह में काम से एक दिन अवकाश भी लें. दिनभर के काम से कुछ समय निकालकर थोड़ा सा आराम करे, क्योंकि आराम भी शरीर के लिए बहुत आवश्यक है. विभिन्न प्रकार की यौगिक क्रियाएं उच्चरक्तचाप को कम करने में सहायक होती है. विशेषकर शवासन, चित्तशुद्धि और योगनिद्रा. इनसे रक्तचाप कम करने में तथा शरीर को आराम पहुंचाने में मदद मिलती है.
Sir ji main dadhi par dai lgata tha dai se mere lips black ho ge or lips k ander b kuchh kala hua hai ab mane dai lgana chhod di hai ab main ki kru Thanks with regards