
हमारी आंख कैमरे की तरह होती है कैमरे की रील की तरह आंख के परदे को रेटिना कहते हैं | रेटिना का सबसे महत्वपूर्ण केंद्रीय भाग मैकुला ल्युटिया कहलाता है | अच्छी दृष्टि के लिए मैकुला का स्वस्थ रहना अत्यावश्यक है | मैकुला के अंदर एक विशेष पिगमेंट पाया जाता है, जिसे मैकुलर पिगमेंट कहते हैं |
इस पिगमेंट के विशेष प्रकार हैं | जैसे ल्यूटीन एंड जिया जैनथिन | ये पिगमेंट प्रकाश तरंगों को रासायनिक प्रक्रिया से होते हुए ऐसी विद्युत तरंगों में परिवर्तित कर देते हैं, जिन्हें नसों द्वारा दिमाग तक संप्रेषित किया जा सके आंखें फोटो खींचती है और दिमाग देखता है |
पिगमेंट का महत्व
मैकुलर पिगमेंट अगर नहीं होगा, तो हमें दिखना बंद हो जाएगा | इस पदार्थ की सांद्रता (डेन्सिटी) को अब नापा जा सकता है | इसे मैकुलर पिगमेंट ऑप्टिकल डेंसिटी (संक्षेप में-‘ एम पी ओ डी’) कहते हैं यदि आप की ‘एम पी ओ डी’ की डेंसिटी कम हो जाए, तो तरंग परिवर्तन रुक जाएगा और हमारी दृष्टि का केंद्रीय भाग यानी (सेंट्रल एरिया) ही काम नहीं कर सकेगा |
खाने पर दें विशेष ध्यान
अगर हम अपने भोजन में कुछ पदार्थों जैसे ल्यूटीन एंड जिया जैनथिन का सेवन करें, तो ये मैकुलर पिगमेंट के स्वास्थ्य के लिए बेहतर होगा मक्का (कार्न) ल्यूटीन का सबसे अच्छा स्रोत है | इसी प्रकार संतरा जिया जैनथिन का उत्तम स्रोत पाया गया है | अगर हम भोजन में हरे पत्तों वाली सब्जियों और रंगदार फलों का सेवन करें, तो ये दृष्टि के लिए लाभकारी होगा | ‘एम पी ओ डी’ की सांद्रता को-एज रिलेटेड मैकुलर डीनरेशन (ए आर एम डी) नामक घातक बीमारी से जोड़कर भी देखा जाता है | ‘ए आर एम डी’ लगभग लाइलाज बीमारी है जिसमे दृष्टि अत्यंत क्षीण हो जाती है और किन्हीं मामलों में दिखना बंद हो जाता है | अगर आप चाहें तो एम पी ओ डी की सांद्रता को जांचा जा सकता है और इसके आधार पर अपने भोजन में परिवर्तन कर और कुछ दवाओं के सहारे इस घातक बीमारी ‘ए आर एम डी’ से बचा जा सकता है |
achha Laga”
Jan kari achi hai
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
OK c nice