
नवजात बच्चे की देखभाल कैसे करें How To Do Newborn Baby Care Tips For Parents in Hindi
जीवन की सबसे बड़ी कला है किसी नवजात की देखभाल । नन्हा शिशु बहुत कोमल होता है। जरा-सी लापरवाही उसके लिए नुकसानदेह हो सकती है। इसलिए बच्चे की देखभाल रूई के | फाहों की तरह की जाती है। अगर एक मां इसमें निपुण होती है तभी उसका मां बनना सफल कहलाता है ।
बच्चों को सुरक्षित और स्वस्थ रखने के लिए छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देकर उन्हें हर मुसीबत से बचाया जा सकता है। खासकर उनकी मालिश और नहलाने को लेकर खासी सावधानी बरतनी
चाहिए। साथ ही नन्हे शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम होती है, उसकी सही देखभाल और लालन पालन में सावधानी उसे मजबूत बनाती है।
मालिश बनाएगी मजबूत Massage Makes Baby Strong
बच्चा चूंकि मां की गर्भ में बंधा हुआ सा होता है अतः उसकी जोड़ों को खोलने के लिए और हड्डियों की मजबूती के लिए मालिश सबसे अहम है। अक्सर लोग मालिश के लिए दाई पर
निर्भर रहते हैं पर कोशिश यही करें कि बच्चे के मालिश कोई रिश्तेदार जैसे दादी, नानी, बुआ या फिर मां ही करे। मां के हाथों का प्यार भरा स्पर्श बच्चे को सुरक्षा का अहसास दिलाता है। रोजाना बच्चे को नहलाने से पहले उसकी मालिश जरूर करनी चाहिए। मालिश से न केवल बच्चे के शरीर को आवश्यक पोषण मिलता है बल्कि उसके शरीर की कसरत भी होती है।
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कैसे करें मालिश How To Massage You Baby
बच्चे की मालिश के लिए बेबी ऑयल, सरसों या जैतून के तेल का चुनाव करें। मालिश करने का सबसे सही तरीका यह है कि आप जिस कमरे में बच्चे की मालिश करने जा रही हैं, उसकी खिड़किया और दरवाजे अच्छी तरह बंद कर दें ताकि बाहर की हवा बच्चे को प्रभावित न करे। फिर आप अपने पैर फैलाकर बच्चे को अपने दोनों पैरों के बीच लिटाएं और अपने हाथों में तेल लगा कर बच्चे की मालिश शुरू करें। मालिश की शुरुआत हमेशा बच्चे के पैरों से करें। फिर हल्के हाथों से उसके पेट और छाती की मालिश करें। उसके बाद बच्चे को पेट के बल उलटा लिटाकर उसकी पीठ और कमर की मालिश करें और सबसे अंत में बच्चे के सिर की मालिश करें।
मालिश के फायदे Benefits of Massage To Newborn Baby
मालिश से बच्चे की मांसपेशियों को व्यायाम व विश्राम मिलता है और बच्चा तनाव-थकान मुक्त होकर आराम की नींद सोता है। मालिश करते समय सावधानी बरतें कि हाथ कोमलता से चलें और बच्चों के नाजुक अंगों को झटका न लगे।
क्यों रोता है बच्चा Know The Reason, Why Baby Cry
शिशुओं के पास अपनी बात कहने या समझाने के लिए रोने के सिवाय कोई साधन ही नहीं होता। उसकी भूख, प्यास, अकेलापन, ठंड लगना, थकान व… बेचैनी जताने का तरीका यही है। कई बार नवजात शिशु बिना किसी वजह के भी रोते हैं। कई बार शाम के समय यह रोना गंभीर रूप भी ले लेता है। जैसे-जैसे शिशु बड़ा होकर संप्रेषण की कला में माहिर होगा, उसका रोना घटता जाएगा और आपके लिए उसे संभालना इतना मुश्किल नहीं रहेगा। फिलहाल आपको यह सीखना होगा कि किस तरह के रोने का क्या मतलब होगा |
1. मै भूँखा हूं
धीरे-धीरे विनती के सुर में हल्के-हल्के रोने का मतलब है कि उसे भूख लगी है | वह होठ चाटता है,་ अंगुली चूसता है और दयनीय भाव से देखता है |
2. मुझे दर्द हो रहा है
यह रोना अचानक व काफी तेज होता है, जोकि काफी लंबे समय के लिए हो सकता है। शिशु की सांस उखड़ने लगती हैं। फिर सांस पर काबू पाते ही वह दोबारा रोने लगता है।
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3. मै बोर हो रहा हूं
ऐसा बच्चा हल्की ऊहा-ऊह के बाद जोर से रो कर गुस्सा जाहिर करता है। और पूछता है कि मेरी तरफ ध्यान क्यों नहीं दे रहे? उसे गोद में उठाते ही उसके आंसू थम जाते हैं।
4. मै थक गया हूं या बेचैनी है
कई बार आस-पास के माहौल से चिढ़ा बच्चा रो कर गुस्सा दिखाता है, जैसे- बार-बार नैप्पी बदलने का गुस्सा, नैपी गीली होने का गुस्सा या ज्यादा देर तक छोटी कुर्सी में बैठने का गुस्सा।
5. मै बीमार हूं
इस तरह की रुलाई में ज्यादा जोश नहीं होता, क्योंकि शिशु निढाल होता है। इसके साथ ही आप उसमें बीमारी के लक्षण व व्यवहार में बदलाव भी देख सकते हैं। बीमार बच्चे के रोने की आवाज ऐसी होती है कि मां-बाप का कलेजा मुंह को आ जाता है। वे इसे पहचानने में कभी भूल नहीं कर सकते।
बेबी कैरियर का प्रयोग Use Baby Carrier For Safety
कपड़े से बने बेबी कैरियर व स्लिंग तो हमेशा से ही चले आए हैं। अब ये जरा आधुनिक किस्म के बनने लगे हैं, जो माता-पिता के लिए एक अच्छा उपाय है। इसमें बच्चा आपके शरीर की गरमाहट को महसूस करते हुए छाती से लगा रहता है और स्वयं को अधिक सुरक्षित महसूस करता है। इसकी वजह से आप आसानी से अपने काम कर सकती हैं। अगर आप कहीं घर से बाहर हैं तो बच्चे को आस-पास की दुनिया देखने का मौका भी मिल जाता है और वह खुश रहता है। कैरियर का प्रयोग करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें
आवश्यकता से अधिक गर्मी
यदि गर्म मौसम में उसे बेबी कैरियर में ले जाना हो तो बार-बार देखती रहें कि उसे पसीना तो नहीं आ रहा या वह बेचैनी तो महसूस नहीं कर रहा है? अगर उसे गर्मी लग रही हो तो उसे कुछ देर कैरियर से निकाल दें।
कैरियर बदलें Change Your Carrier If Needs
छोटे शिशु के लिए कोई भी कैरियर चलेगा क्योंकि उसे आसपास की दुनिया का अहसास नहीं है, पर थोड़े बड़े होने पर शिशु के लिए ऐसा कैरियर चाहिए कि वह आगे-पीछे व आसपास आसानी से देख सके। इसके अलावा उसे प्रैम या बग्धी में भी घुमाने की आदत डालें।
अधिक नीद लेना Baby Sleep More In Carrier
अक्सर कैरियर में रहने वाले बच्चे आम बच्चों की तुलना में अधिक नींद लेते हैं। ये बच्चे भरपूर नीद नहीं ले पाते, क्योंकि कैरियर से उतारते ही उनकी नींद टूट जाती है। वे दिन में इतना आराम कर लेते हैं कि रात को नहीं सोते व सबको जगाते हैं। कैरियर में शिशु को नींद आ जाती हो तो उसे बाकी दिन में अधिक झपकी न लेने दें।
चोट लगने का डर
कैरियर के साथ कुछ सावधानियां रखनी भी जरूरी हैं। अगर आप सोचे कि उसे कैरियर में लेकर जॉग कर सकती हैं तो यह खतरा मोल न लें। शिशु की गरदन बहुत नाजुक होती है। झटका लगने से उसे चोट आ सकती है। यदि जॉग करना हो तो उसे पुश चेयर में ले जाएं।
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