
तिल के बीज और तेल से रोगों का घरेलु इलाज Til Ka Tel Benefits in Hindi
तिल और तिलों के तेल से सब परिचित हैं। जाड़े की ऋतु में तिल के मोदक बड़े चाव से खाये जाते हैं। रंग भेद से तिल के तीन प्रकार होते है, सफ़ेद, लाल एवं काला। औषधि के लिए काले तिलों से प्राप्त तेल अधिक उत्तम समझा जाता है। तिल (बीज) एवं तेल भारतवर्ष के प्रसिद्ध व्यावसायिक एवं औषधीय द्रव्य हैं।
भारत के समस्त प्रान्तों में लगभग १२०० मी ऊँचाई तक इसकी खेती की जाती है। तिल के नित्य सेवन से जठराग्नि प्रदीप्त होती है, मेधा शक्ति बढ़ती है, बुद्धि की ग्रहण शीलता बढ़ती है तथा दांतों के लिए यह विशेष हितकर माना जाता है।
तिल का तेल त्वचा के लिए लाभकारी है। प्रतिदिन तिल के तेल की मालिश करने से मनुष्य रक्त विकार, कटिशूल, अंगमर्द, वातव्याधि जैसे रोगों से दूर रहता है। तिलों की पुल्टिस बनाकर घाव पर बांधने का भी विधान है। शरीर में किसी भी अंग में नागफनी या थूहर का कांटा घुस जाये और निकालने में दिक्कत हो तो उस जगह तिल का तेल बार-बार लगाने से कुछ समय में वह कांटा स्वत: निकल जाता है। ऐसे अनेक रोगों में कारगर साबित होने वाले तिल का संपूर्ण पंचांग अर्थात् मूल, पत्र, बीज एवं तैल सभी प्रयोज्य हैं, पर कुष्ठ, शोथ तथा प्रमेह के रोगियों को स्नेहन, भोजन आदि में तिल का प्रयोग बिलकुल वर्जित बताया गया है। इसके अतिरिक्त अन्य प्रयोगों में चिकित्सक के परामर्शानुसार ही इसका उपयोग करना चाहिए।
कैसा होता है तिल का पेड़
यह सीधा, 30-60 सेमी ऊँचा, तीक्ष्ण-गंधयुक्त, शाखित अथवा अशाखित, वर्षायु, शाकीय पौधा है। इसका काण्ड सूक्ष्म अथवा रोमश, ऊपरी भाग की शाखाएँ एवं काण्ड चतुष्कोणीय, कुंठाग्र एवं खांचयुक्त होती हैं। इस पौधे पर जगह-जगह स्रावी ग्रंथियां पाई जाती हैं। इसके पत्र बृहत् पतले, कोमल, रोमयुक्त, ऊध्र्व के पत्र कुछ लम्बे तथा अधोभाग के पत्र पालिक, 6-15 सेमी लम्बे एवं 3-10 सेमी चौड़े होते हैं। इसके पुष्प बैंगनी, गुलाबी अथवा श्वेताभ बैंगनी व पीत वर्ण के चिन्हों से युक्त होते हैं। इसकी फली 2-5 सेमी लम्बी, 6 मिमी चौड़ी, रोमश, सीधी, चतुष्कोणीय तथा 4-खांचयुक्त होती है। बीज अनेक, 2-5 मिमी लम्बे, 1-5 मिमी चौड़े, चिकने भूरे अथवा श्वेत वर्ण के होते हैं। इसका पुष्पकाल एवं फलकाल अगस्त से अक्टूबर तक होता है।
तिल एक ऐसी औषधि है जिसके गुणों को पूरी तरह से यहाँ बताना संभव नहीं है फिर इसके कुछ औषधीय गुणों को हम आपको बता रहें हैं जो की दैनिक जीवन में उपयोगी हैं –
1. तिल रस में चरपरे, कड़वे, मधुर, कसैले, भारी, स्वादिष्ट, स्निग्ध, उष्ण, कफ तथा पित्त का शमन करने वाले, बलदायक, केशों के लिए हितकारी, स्पर्श में शीतल, त्वचा को हितकारी, दूध को बढ़ाने वाले, व्रणरोग में लाभकारी, दांतों को उत्तम करने वाले, मूत्र प्रवाह कम करने वाले, ग्राही, दीपन और मेध्य गुणयुक्त होते हैं।
2. काला तिल सर्वोत्तम व वीर्यवर्धक है, सफेद तिल मध्यम है, लाल तिल हीन गुण वाले होते हैं।
3. काला तिल श्रेष्ठ, शुक्रल होता है।
इसे भी पढ़ें – पुरुषों में प्रमेह रोग का घरेलू उपचार
4. सफ़ेद तिल मध्यम किन्तु अन्य तिल से गुणों में कमजोर होता है।
5. तिल तैल कषाय, मधुर, पित्तकारक, वातशामक, सूक्ष्म, उष्ण, व्यवायी, स्निग्ध, पथ्य, केश्य तथा तीक्ष्ण होता है पर तिल कल्क मधुर, रुचिकारक, बलकारक तथा पुष्टिकारक होता है।
6. तिल पिण्याक मधुर, चिकारक, तीक्ष्ण, रक्तपित्त तथा नेत्र विकारों को उत्पन्न करने वाली, रूक्ष, विष्टम्भी, कटु, पुष्टिकारक, बलकारक, कफवातशामक तथा प्रमेह शामक होती है।
Tags: til ka tel for hair in Hindi, benefits of til ka tel for skin, til ka tel for joint pain, uses of til ka tel, til ka tel ke fayde, til ka tel in Hindi, sesame oil benefits
Leave a Reply